नई दिल्ली। रूस में एक ऐसा रहस्यमयी गांव है, जो वैज्ञानिकों के लिए भी एक अबूझ पहेली है । यह गांव एम- ट्राएंगल (एम- त्रिकोण) के नाम से जाना जाता है। राजधानी मॉस्को से करीब 600 मील पूरब की तरफ उराल पर्वतों के पास ‘मोल्योब्का’ नाम का एक गांव स्थित है। दरअसल, एम-ट्राएंगल का मतलब मोल्योब्का ट्राएंगल है। यह रूस के सबसे रहस्यमयी इलाकों में से एक है। एक समय यह स्थान वहां के स्थानीय मानसी लोगों के लिए पवित्र माना जाता था। हालांकि, अब यह जगह रहस्यमयी हो गई है।
इस रहस्यमयी जगह को पर्म क्षेत्र का एम- त्रिकोण ( ट्राएंगल) या ‘पर्म विषम जोन’ भी कहा जाता है, जो 70 वर्ग मील में फैला हुआ है। 1980 में यह इलाका तब चर्चा में आया था, जब यहां रहस्यमयी आवाजें सुनाई देने लगीं। आवाजें अचानक ही सुनाई देने लगती हैं।कहा जाता है कि शोधकर्ताओं ने यहां ट्रैफिक का शोर यानी आती-जाती गाड़ियों की आवाजें रिकॉर्ड की हैं। ऐसा लगता है जैसे कोई तेज रफ्तार गाड़ी बगल से गुजरी हो, जबकि सबसे हैरानी करने वाली बात यह है कि यहां से सबसे नजदीकी सड़क करीब 40 किलोमीटर दूर है। अभी तक यह रहस्य है कि आखिर गाड़ियों की आवाजें कहां से आती हैं।
एम- ट्राएंगल में असामान्य घटनाएं घटती हैं। जैसे बादलों के बीच से धरती पर प्रकाश की एक किरण- पुंज आती हुई प्रतीत होती है, घने जंगलों में अचानक ही विचित्र सी पारदर्शक चीजें दिखने लगती हैं और आसमान में अजीब से चिह्न या अक्षर दिखाई देने लगते हैं। इसके अलावा यहां कई बार उड़नतश्तरियों (यूएफओ) के भी देखे जाने का दावा किया गया है। इस रहस्यमयी जगह के बारे में यह भी कहा जाता है कि अगर कोई मंदबुद्धि इंसान यहां कुछ दिन गुजार ले तो वह भी तेज-तर्रार और चालाक बन जाता है। इस अनोखी जगह पर आने पर ऐसा अहसास होता है जैसे यहां जरूर कोई चमत्कारी शक्ति है ।
यहां पृथ्वी से दूर किसी अनजानी या दूसरी दुनिया में आने जैसा प्रतीत होता है। कहा जाता है कि ‘पर्म जोन’ में आने वाला गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति भी अपने आप ठीक हो जाता है। एम- ट्राएंगल के बारे में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यहां कई कंपनियों के मोबाइल नेटवर्क मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां फोन काम ही नहीं करते। हालांकि, यहीं पर एक रहस्यमयी ‘मिट्टी का टीला’ भी है, जिसपर चढ़ गए तो आप दुनिया के किसी भी कोने में फोन कॉल लगा सकते हैं, लेकिन जैसे ही टीले से नीचे उतरेंगे, कॉल अपने आप कट जाती है। इस रहस्यमयी टीले को ‘कॉल बॉक्स’ कहा जाता है।
यह भी पढ़ें : राजनाथ सिंह : ब्रह्मोस की विश्व में मांग बढ़ी, 17 से 18 देशों ने भारत से मांगा